Mumbai Diaries
- Pawan Upadhyaya
- Sep 18, 2023
- 2 min read
मेरे सामने वाले घर की खिड़की हमेशा खुली रहती है। मैं अपने हॉल में बैठा सब देख लेता हूँ। लगता है जैसे वैकुण्ठ में लेटे पद्मनाभ पृथ्वी पे बिलबिला रहे अपने किसी भक्त को देख रहे हैं। उनके घर क्या पकता है, क्या बनता है, क्यों झगड़ा होता है, क्यों जश्न मनता है, सोफ़े पे पसरे हुए मुझे सब दिख जाता है। मुझे लगता है मुझे उनके बारे में सब पता है।
सामने वाले घर में जो मर्द है वो दिन भर घर ही रहता है। कहीं नहीं जाता। क्या पता उसे काम से निकाल दिया हो? क्या पता वो नया काम ढूँढ रहा हो? या ये भी हो सकता है कि वो यूट्यूबर हो। उसकी बीवी रोज़ आठ बजे निकल जाती है। साड़ी पहनती है, लंबी त्रिकोण वाली बिंदी लगाती है, माँग भरने के बाद जो सिंदूर उँगली पे लगा रह जाता है उससे होंठ रंग लेती है और काँख में एक झोला दबाए निकल जाती है। रोज़ सुबह आठ बजे।
फिर एक लड़की आती है, वो बहुत जल्दी में है। जैसे शेयर बाज़ार खोलने का घंटा इसे ही बजाना है। घंटा तो नहीं मिलता लेकिन अपने छोटे भाई को मन भरकर कूटती है। कूटे भी क्यों ना। भाई साब उस घर में सबसे लेट उठते हैं। घर का सबसे छोटा सदस्य माँ की नज़रों में नयी क़ालीन से कम नहीं होता। माँ उसे धूल, कीचड़, पदचाप से बचाती है। पर वही क़ालीन बाक़ी सबके लिए सिर्फ़ एक रौंदे जाने वाला सामान है। तमीज़ से गाल लालकर वो भाई का गट्टा पकड़ती है और और उसकी पीठ पर स्कूल बैग फिट करते हुए दरवाज़े से बाहर निकल जाती है। मर्द अब अकेला है।
अकेले मर्द पतीले में खौलते हुए दूध की तरह होते है। जब तक कोई पतीला देख रहा हो तब तक उफ़न के बाहर नहीं आते। जैसे ही नज़र हटी, कब पतीले से बाहर आकर फैल जाते हैं, पता नहीं चलता। वो टी॰वी ऑन करके बैठ जाता है। टी॰वी दिन भर चलता है पर वो हमेशा खिड़की के बाहर ही झांकता रहता है। कुछ खाता नहीं है; पर पीता है। क्या पीता है पता नहीं पर कुछ घूँट लेने के बाद ही वो भी अपने सोफ़े पे पसर जाता है। टी॰वी अब भी ऑन है और वो खड़की के बाहर देख रहा है।
किसी की ज़िंदगी में इतना क़रीब से झांकने के बाद भी मुझे कोई इल्म नहीं कि वो क्यों पीता है, उसकी बीवी आठ बजे कहाँ निकलती है, उसकी लड़की को किस बात का ग़ुस्सा है, और उसका बेटा क्यों देर से उठता है? तब तक पेग बोर्ड पर डेडलाइन का स्टिकी नोट दिख जाता है। मैं सब छोड़कर लिखने लगता हूँ। तभी अचानक से एक बात दिमाग़ में कौंधती है कि उस मर्द को अपनी खिड़की से क्या दिखता होगा?
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